TV24 Breaking

थानाध्यक्ष अभिषेक कुमार की विदाई: एक कार्यकाल जो जनता के दिलों में बस गया…

थानाध्यक्ष अभिषेक कुमार के कार्यकाल को सलाम

TV24 News: अभिषेक कुमार, बेनीबाद के निवर्तमान थानाध्यक्ष, की विदाई आज एक ऐसे मौसम में हुई जब देवराज इंद्र भी अपनी असीम कृपा बरसा रहे थे। मानो आसमान भी इस पल की अहमियत को समझ रहा था, ठीक उसी तरह जैसे बेनीबाद थाना क्षेत्र की जनता ने अपने इस प्रिय थानाध्यक्ष के कार्यकाल को सराहा। एक लंबे और प्रभावी कार्यकाल के बाद, अभिषेक कुमार थाना से विदाई ले रहे थे, और इस अवसर पर विभिन्न गांवों के जनप्रतिनिधि, थाना के पदाधिकारी और आम जनता, सभी ने नाम आंखों से उन्हें विदाई दी। उनका कार्यकाल बेनीबाद के लिए सिर्फ एक प्रशासनिक अवधि नहीं, बल्कि बदलाव और जनसेवा का एक अनूठा अध्याय रहा है।

पुराने से नए थाने तक का सफर

अभिषेक कुमार के कार्यकाल की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक था बेनीबाद ओ.पी. से नए थाना भवन तक का सफर। एक समय था जब पुराने थाने के प्रांगण में हल्की सी बरसात में भी घुटनों तक पानी लग जाता था, और बाढ़ के दौरान तो थाने को कहीं और ही स्थानांतरित करना पड़ता था। लेकिन उनके नेतृत्व में बेनीबाद को एक अत्याधुनिक और सुसज्जित नया थाना भवन मिला।

यह बदलाव किसी चमत्कार से कम नहीं था। नया थाना भवन बनकर लगभग तैयार था, लेकिन ठेकेदार ने इसे अधूरा छोड़ दिया था। कई उद्घाटन की तारीखें तय होकर रद्द हो चुकी थीं। तभी अचानक वरीय अधिकारी का फोन आता है: “26 जनवरी का झंडोत्तोलन नए थाने में होगा, अभिषेक तैयारी करो और कल ही उद्घाटन होगा!” सिर्फ 24 घंटे से भी कम का समय बचा था। लेकिन इस चुनौती को भी अभिषेक कुमार ने बखूबी संभाला। अपनी सक्रिय पुलिसिंग और टीम के साथ-साथ स्थानीय लोगों से बातचीत कर, उन्होंने 24 घंटे के भीतर ही पूरे थाने को फूलों और तिरंगे की थीम पर सजवा कर तैयार कर दिया। आज बेनीबाद का जो चमकता-दमकता नया थाना भवन नज़र आता है, वह अभिषेक कुमार के दृढ़ संकल्प और दूरदर्शी नेतृत्व का ही परिणाम है। उन्होंने पर्यावरण का भी ख्याल रखते हुए थाने परिसर को हरियाली से भर दिया, जो एक खूबसूरत और शांत वातावरण प्रदान करता है।

मधुरपट्टी नाव हादसा: जब मानवीयता ने संभाली कमान

बेनीबाद थाना क्षेत्र का मधुरपट्टी नाव हादसा सिर्फ बिहार ही नहीं, बल्कि पूरे देश में सुर्खियों में रहा। यह एक ऐसा दुखद पल था जब एक-दो नहीं, बल्कि दर्जनों लोगों के एक साथ डूबने की खबर ने पूरे क्षेत्र को गमगीन कर दिया था। इलाके में भारी अफरा-तफरी और आक्रोश का माहौल था। ऐसे संवेदनशील वक्त में भी, तत्कालीन थानाध्यक्ष अभिषेक कुमार ने असाधारण संयम और उदारपूर्ण रवैया अपनाकर स्थिति को नियंत्रित किया।

परिणाम कुछ ऐसा रहा कि जिस गांव में यह हादसा हुआ था, वहां सत्ता और विपक्ष में काबिज बड़े-बड़े अधिकारियों को भी विरोध का सामना करना पड़ा था। बावजूद इसके, थाने के सहयोगात्मक और सौहार्दपूर्ण रवैये के कारण गांव के लोग थाने के प्रति उदारता दिखाते रहे। रात के 2 बजे भी लाशों को ढूंढने में थाने की टीम नजर आती थी, और शायद यही एक वजह थी कि अभिषेक कुमार को लोग वहां आज भी नहीं भुला पा रहे हैं। जिस हिसाब से बड़ी संख्या में लोग नदी में डूबे थे और उनके शव नहीं मिल पाए थे, उस स्थिति में थाना का घेराव, पुलिस पर पत्थरबाजी या फिर पुलिस के खिलाफ नारेबाजी आम बात हो सकती थी। यह घटना कभी भी घट सकती थी, लेकिन एक अच्छे पदाधिकारी होने के कारण, अपने अच्छे रवैये से सभी लोगों से सामंजस्य स्थापित करके, चाहे रात के 2 बज रहे हों या सुबह के 4, एसएचओ अभिषेक कुमार अपनी पूरी टीम के साथ हमेशा उस गांव वालों के साथ रहे। यह उनकी मानवीयता और कर्तव्यनिष्ठा का अद्भुत उदाहरण है।

लोकसभा चुनाव 2024: जनता और पुलिस के बीच अनोखा संबंध

लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान, मधुरपट्टी का एक ऐसा बूथ था जहां नाव हादसे के कारण पुल की मांग को लेकर आक्रोशित लोगों ने वोट देने से खुद को मना कर दिया था। वहां पर पदाधिकारियों के झुंड को भी घेर लिया गया था, सड़क जाम कर दी गई थी, और उन्हें आवागमन तक करने से रोक दिया गया था। लेकिन उस वक्त भी बेनीबाद थानाध्यक्ष अभिषेक कुमार ने संयम स्थापित करते हुए पदाधिकारियों को उस इलाके से सुरक्षित निकाला। यह उनकी क्षमता का प्रमाण है कि वे विपरीत परिस्थितियों में भी शांति और सूझबूझ से काम लेते थे, और पुलिस और जनता के बीच एक अनोखा संबंध स्थापित करने में सफल रहे।

अपराध नियंत्रण से लेकर सड़क छिनतई तक: एक मजबूत पकड़

अभिषेक कुमार क्राइम पर कुछ ऐसा पकड़ रखते थे कि उनके समय काल में अपराध बहुत कम हो गया था। कई दफा उनके ट्रांसफर-पोस्टिंग की चर्चाएं चलीं, लेकिन वरीय अधिकारी उनसे इतने खुश थे कि उन्हें स्थानांतरित नहीं किया गया। सड़क में होने वाली दुर्घटनाएं जैसे छिनतई, चोरी, लूटपाट, इस तरीके के मामलों में उनकी कुछ खास पकड़ थी, जिसके कारण बेनीबाद ओपी क्षेत्र में उनके शासन काल तक क्राइम रेट काफी हद तक घट गई थी। सिर्फ इतना ही नहीं, अभिषेक कुमार जमीनी विवाद जैसे मामलों में भी काफी शांत होना से और सोच-समझ कर काम लेते थे।

बागमती की चुनौती और त्वरित पुलिसिंग

बेनीबाद क्षेत्र का एक सबसे बड़ा चैलेंज बागमती की तेज़ बहती धार है। यह क्षेत्र बागमती नदी के दोनों किनारों पर बसा है, जहां साल के छह महीने तक तेज़ रफ्तार में पानी का बहाव होता है। अक्सर उसमें नहाने, शौच के दौरान या फिर किसी अन्य कारण से बच्चे, बुजुर्ग या आम लोगों का नदी में डूबना लगा रहता है। जिसके कारण पुलिस प्रशासन काफी मुस्तैद रहती थी। सूचना मिलते ही पुलिस बल के साथ-साथ एनडीआरएफ को सूचना देकर तुरंत पुलिस सक्रिय भूमिका निभाते हुए अपनी कार्यवाही करने में जुट जाती थी, जिससे लोगों में बेनीबाद पुलिस के प्रति काफी सकारात्मकता थी। यह उनकी सामुदायिक पुलिसिंग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था।

लोकप्रिय एस.एच.ओ.: नायक का प्रतिरूप

पुलिस की नौकरी कितनी चुनौतियों से भरी होती है, यह बताना शायद जरूरी नहीं है। लेकिन बावजूद इसके, पुलिसिंग में रहते हुए बेनीबाद के निवर्तमान थानाध्यक्ष अभिषेक कुमार अपने बुद्धि, अपने अनुभव और अपनी पुलिस ट्रेनिंग के आधार पर एक समुचित रूप से थाने को चलाने में सक्षम थे। शायद यही कारण था कि बेनीबाद के विभिन्न गांवों में उनके नाम की चर्चा अक्सर हुआ करती थी। नेता तो छोड़िए, आम जनता के बीच उनके नाम का पकड़ कुछ ऐसा था कि उनके नाम लेने मात्र से अपराधियों में खौफ था, तो वहीं आम जनता के बीच खुशी का माहौल था।

अभिषेक कुमार थाने पर आए हर ऐसे मजबूर की मदद करने के लिए भी जाने जाते थे, जो किसी मुश्किल मौके पर थाने पर पैदल तो आ जाते थे, लेकिन वापस उन्हें घर जाने के लिए किराया तक उनके पास नहीं हुआ करता था। ऐसे माहौल में अभिषेक कुमार अपनी जेब से उन्हें आर्थिक मदद तक भी किया करते थे। और शायद कुछ ऐसी ही वजहें थीं जिसके कारण बहुत सारे लोग उन्हें मानते थे और उनकी बातों को सुनते थे। अभिषेक कुमार के पास क्राइम को ट्रैक करने का एक अच्छा अनुभव था, शायद यही वजह रही होगी कि बेनीबाद के निवर्तमान थानाध्यक्ष अभिषेक कुमार ने एक मामले में चोरी हुई पिकअप को 48 घंटे के अंदर बरामद कर लिया। उनकी टीम और उनके सक्रिय पुलिसिंग के कारण वह बेनीबाद क्षेत्र के गांव से चोरी हुई पिकअप वैन को 48 घंटे के भीतर रिकवर कर लिए थे। …और न जाने ऐसी कितने कहानियां रही हैं इनकी….

क्या है उनके ट्रांसफर की वजह?

पुलिस का कार्यकाल वैसे एक सीमित अवधि के लिए रहता है। 22 दिसंबर 2021 से 21 मई 2025 तक इन्होंने अपनी सेवा दी। समय अवधि समाप्त होने के बाद उन्हें बेनीबाद से वापस बुलाया गया है। सूत्रों की मानें तो उनकी अच्छी नेतृत्व को देखते हुए उन्हें अब रेल पुलिस में मौका देने का वरीय अधिकारियों का मन है, जो उनकी कार्यकुशलता और समर्पण का एक और प्रमाण है।

अभिषेक कुमार का कार्यकाल बेनीबाद के लिए एक मील का पत्थर साबित हुआ है, और उनकी विदाई पर उमड़ा जनसैलाब इस बात का गवाह है कि उन्होंने लोगों के दिलों में एक खास जगह बनाई है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!